रिपोर्ट - धर्मेन्द्र कुमार
चन्दौली: जिला मुख्यालय के सुदूर जंगली क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। नौगढ़ कस्बे के आशीर्वाद हॉस्पिटल में एक गर्भवती महिला और नवजात की इलाज के दौरान मौत हो गई, जबकि यह अस्पताल एक माह पहले एडिशनल सीएमओ द्वारा सीज़ किया जा चुका था। घटना के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश फैल गया ।और लोगों ने हॉस्पिटल पहुंचकर जमकर हंगामा किया।
सूचना पर नौगढ़ थानाध्यक्ष मौके पर पहुंचे और स्थिति को किसी तरह शांत कराया। इसके बाद उपजिलाधिकारी विकास मित्तल के नेतृत्व में एडिशनल सीएमओ व सीओ नामेन्द्र कुमार की टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की। मृतका का पहचान रेशमा (26 वर्ष) पत्नी चिखुरी, निवासी शेरवा गांव, मिर्जापुर जनपद के रूप में हुई है।
बताया जा रहा है कि गर्भवती रेशमा कुछ दिनों से मायके भैषोड़ा गांव (नौगढ़) में रह रही थी। शुक्रवार देर रात अचानक तबीयत बिगड़ने पर परिजन उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नौगढ़ लेकर पहुंचे। वहां तैनात डॉक्टरों ने महिला की गंभीर स्थिति को देखते हुए जिला अस्पताल रेफर कर दिया। लेकिन परिजन जिला अस्पताल ले जाने के बजाय नौगढ़ कस्बे के आशीर्वाद हॉस्पिटल में भर्ती करा दिए, जहां इलाज के दौरान ही जच्चा-बच्चा दोनों की मौत हो गई।
जांच में खुलासा हुआ कि आशीर्वाद हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन पहले ही फेल घोषित किया जा चुका था और इसे एडिशनल सीएमओ द्वारा करीब एक माह पूर्व सीज़ किया गया था, बावजूद इसके अस्पताल खुलेआम संचालित हो रहा था। सवाल यह उठता है कि जब हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन रद्द हो चुका था तो 24 घंटे में ही यह दोबारा कैसे खुल गया और प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर इलाज कैसे जारी था?
ग्रामीणों का कहना है कि नौगढ़, चकिया और शहाबगंज ब्लॉकों में अवैध हॉस्पिटलों और पैथोलॉजी सेंटरों का नेटवर्क तेजी से फल-फूल रहा है, जिन्हें विभागीय मिलीभगत का खुला संरक्षण प्राप्त है। प्रशासनिक जांच में यह बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है कि आखिर इन अवैध नर्सिंग होम्स और पैथोलॉजी सेंटर्स को कौन संरक्षण दे रहा है, जो बार-बार सीज़ होने के बाद भी संचालित हो रहे हैं? जांच टीम ने आशीर्वाद हॉस्पिटल को तत्काल प्रभाव से पुनः सीज़ कर दिया है और आगे की कार्रवाई की तैयारी में स्वास्थ्य विभाग जुट गया है।


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