58 दिन में बांदा कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला, जज बोले- मासूमों से दरिंदगी करने वालों को कोई रियायत नहीं
बांदा - जिले की विशेष पॉक्सो (POCSO) अदालत ने बच्ची से दुष्कर्म के जघन्य मामले में महज 58 दिन में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आरोपी को फांसी की सजा सुनाई। अदालत ने इसे “रेयर ऑफ रेयरेस्ट” मामला मानते हुए कहा कि ऐसे हैवानों को जिंदा रहने का कोई अधिकार नहीं है।
घटना का पूरा मामला
करीब दो महीने पहले बांदा जिले के एक गांव में 3 साल की मासूम बच्ची अचानक लापता हो गई थी। परिजनों ने तलाश की तो बच्ची बेहोशी की हालत में खेत के किनारे मिली। परिजनों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। मेडिकल जांच में रेप की पुष्टि हुई।पुलिस ने पीड़िता के बयान और सबूतों के आधार पर गांव के ही आरोपी युवक को गिरफ्तार किया।
पुलिस ने 7 दिन में दाखिल की चार्जशीट
घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 7 दिन के अंदर चार्जशीट दाखिल कर दी। इस दौरान मेडिकल रिपोर्ट, डीएनए सैंपल और गवाहों के बयान अदालत में पेश किए गए।
58 दिन में पूरी हुई सुनवाई
विशेष पॉक्सो कोर्ट ने मामले को फास्ट ट्रैक पर लिया। रोजाना सुनवाई के बाद केवल 58 दिन में फैसला सुना दिया गया। अभियोजन पक्ष ने 11 गवाह पेश किए और ठोस सबूत रखे।
जज की सख्त टिप्पणी -
फैसला सुनाते हुए जज ने कहा –
इसे रियायत देना आने वाली पीढ़ियों के साथ अन्याय होगा। ऐसे अपराधी को जिंदा रहने का कोई हक नहीं।”
फैसले से लोगों में राहत
कोर्ट के इस फैसले से पीड़ित परिवार ने राहत की सांस ली। परिजनों ने कहा कि उन्हें न्याय मिला है। ग्रामीणों ने भी अदालत के इस साहसिक कदम का स्वागत किया और कहा कि इससे अपराधियों में भय और पीड़ितों में न्याय का विश्वास बढ़ेगा।
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