REPORT- MOHAMMAD ASIF
बुंदेलखंड किसान यूनियन के नेता पंकज तिवारी ने बताया कि यह रपटा करीब 31 साल पुराना है और आज तक इसकी मरम्मत या पुनर्निर्माण की कोई पहल नहीं हुई है। हर बारिश में यह रपटा जलमग्न हो जाता है, जिससे नौगांव फदना, बुडोरा, बैंदो, करहरा जैसे करीब छह गांवों का संपर्क पूरी तरह कट जाता है। न सिर्फ किसानों की रोजमर्रा की ज़िंदगी प्रभावित होती है बल्कि स्वास्थ्य सेवाएं, मजदूरी और बाजार तक पहुंचना भी मुश्किल हो जाता है।पंकज तिवारी ने बताया कि जलभराव के कारण गांवों के छात्र-छात्राएं स्कूल नहीं जा पाते, और आपातकालीन स्थिति में एंबुलेंस तक गांवों में नहीं पहुंच पाती। ग्रामीणों द्वारा कई बार प्रशासन को शिकायत की गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। बारिश के समय इस रपटे पर जलभराव इतना होता है कि ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर आवागमन करना पड़ता है। कई बार हादसे भी हो चुके हैं, लेकिन प्रशासन आंख मूंदे बैठा है। बुंदेलखंड किसान यूनियन ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही रपटा दुरुस्त कर या नया पुल निर्माण की कार्यवाही शुरू नहीं की गई, तो यह आंदोलन और उग्र होगा।जल सत्याग्रह में शामिल किसानों का कहना है कि जब तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं होता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि वर्मा नदी पर शीघ्र अति शीघ्र पक्का पुल निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाए, ताकि हर साल बारिश में ग्रामीणों को यह पीड़ा न झेलनी पड़े।
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