रिपोर्ट :- चंद्रभान यादव
जशपुर जिले में पारंपरिक हस्तशिल्प को नई पहचान और बाजार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से “जशक्राफ्ट” ब्रांड के अंतर्गत कालीन उत्पादन में उत्कृष्टता लाने हेतु विकास आयुक्त हस्तशिल्प, भारत सरकार, वस्त्र मंत्रालय, नई दिल्ली की CHCDS परियोजना के तहत “डिजाइन एंड डेवलपमेंट वर्कशॉप ऑन कारपेट क्राफ्ट” का आयोजन किया जा रहा है।
यह कार्यशाला जशपुर विकासखंड के बालाछापर ग्राम पंचायत स्थित रीपा परिसर में आयोजित की जा रही है। कार्यक्रम का आयोजन छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा जिला प्रशासन जशपुर एवं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के समन्वय से किया जा रहा है। प्रशिक्षण कार्यक्रम 19 दिसंबर 2025 से 18 मार्च 2026 तक कुल तीन माह की अवधि का होगा। उल्लेखनीय है कि जशपुर जिले के पारंपरिक हस्तशिल्प उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए ‘जशक्राफ्ट ब्रांड’ के अंतर्गत विभिन्न गतिविधियाँ संचालित की जा रही हैं। इसका उद्देश्य कालीन, छिंद-कांसा, बांस एवं काष्ठ शिल्प से जुड़ी स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं एवं कारीगरों को तकनीकी दक्षता प्रदान करने के साथ-साथ स्थायी बाजार से जोड़ना है।
यह संपूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम जिला कलेक्टर रोहित व्यास एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत अभिषेक कुमार के मार्गदर्शन में संचालित किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के क्षेत्रीय प्रबंधक राजेंद्र राजवाड़े ने बताया कि प्रशिक्षण में भाग ले रही 30 महिलाओं को प्रति दिवस ₹300 की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा रही है। साथ ही, तैयार उत्पादों के विपणन की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा स्वयं वहन की जाएगी। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि भारत सरकार द्वारा जशपुर जिले में कालीन उद्योग के अतिरिक्त ‘काष्ठ हस्तशिल्प’ का दो माह का प्रशिक्षण मनोरा विकासखंड के अलोरी ग्राम पंचायत में तथा ‘गोदना शिल्प’ पर एक माह का प्रशिक्षण दुलदुला विकासखंड में आयोजित किया जा रहा है। बालाछापर में संचालित कालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम में दिल्ली से डिजाइनिंग प्रशिक्षक सुश्री कौशिकी सौम्या तथा स्थानीय प्रशिक्षक चिंतामणि भगत (अंबिकापुर) द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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